किसानों की आत्महत्या रोकने के लिए भाजपा क्या कर रही है? – जयराम रमेश

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जयराम रमेश

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कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने 4 सवाल पूछ कर केंद्र सरकार को घेरते हुए X पोस्ट में लिखा “नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री आज महाराष्ट्र के वाशिम और ठाणे में हैं। उन्हें राज्य से जुड़े इन 4 सवालों के जवाब अवश्य देने चाहिए।

किसानों की आत्महत्या रोकने के लिए भाजपा क्या कर रही है?

जयराम रमेश – महाराष्ट्र में एक दिन में औसतन सात किसान अपना जीवन समाप्त कर लेते हैं। दिल दहला देने वाला यह आंकड़ा किसी और की तरफ़ से नहीं बल्कि राज्य के राहत और पुनर्वास मंत्री की ओर से आया है। उन्होंने बताया कि पिछले साल जनवरी से अक्टूबर के बीच 2,366 किसानों की आत्महत्या से मौत हुई है। कारण स्पष्ट हैं: पिछले साल 60% ज़िलों को सूखे की स्थिति का सामना करना पड़ा लेकिन सरकार से कोई मदद नहीं मिली। पिछले साल 60 फ़ीसदी ज़िलों में सूखे की स्थिति थी लेकिन सरकार की ओर से कोई मदद नहीं मिली। जब राज्य के आधे से ज़्यादा हिस्से में बेमौसम बारिश से फसलें बर्बाद हो गईं, तो किसानों को क़र्ज़ माफी की सुविधा दी गई, लेकिन सॉफ्टवेयर में गड़बड़ी के कारण 6.56 लाख किसान इस राहत से वंचित रह गए।

जाति जनगणना और अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं OBC के लिए आरक्षण की सीमा 50% से बढ़ाने पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा लगाए गए रोक के मुद्दे पर भाजपा का क्या स्टैंड है?

राहुल गांधी आज कोल्हापुर में हैं, जहां वह भारत में सामाजिक न्याय आंदोलन के अग्रदूत महान छत्रपति शाहूजी महाराज की समाधि पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे। इस बीच, नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री का पोहरादेवी मंदिर का दौरा करने का कार्यक्रम है, जिसमें बंजारा समुदाय की काफी आस्था है। लेकिन, जब राहुल गांधी जाति जनगणना और अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं OBC के लिए आरक्षण की सीमा 50% से बढ़ाने जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे को ज़ोरदार ढंग से उठा रहे हैं तब नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री इस मामले पर रहस्यमई चुप्पी साधे रहते हैं। नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री इतने खामोश क्यों हैं? उन्हें किस बात का डर है?

महायुति को चुनाव से इतना डर क्यों लग रहा है? – जयराम रमेश

महायुति सरकार द्वारा ठाणे सहित राज्य में नगर निगमों के चुनाव कराने में बार-बार की जा रही देरी लोकतंत्र और महाराष्ट्र के शहरी नागरिकों के अधिकारों पर हमला है। सरकार का कहना है कि देरी OBC आरक्षण और वार्ड परिसीमन आदि के कारण हुई है, लेकिन वास्तविकता यह है कि भाजपा मतदाताओं का सामना करने से डर रही है। उसे डर है कि विधानसभा चुनाव से पहले हार से उसकी छवि ख़राब होगी। भाजपा ने थाने और शहरी महाराष्ट्र के लोगों को धोखा क्यों दिया? लोगों की आवाज़ सुनी जाए, इसके लिए और कितना इंतज़ार करना होगा?

नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री का संविधान के अनुच्छेद 15(5) पर क्या स्टैंड हैं?

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 15(5) में सहायता प्राप्त या गैर सहायता प्राप्त सभी सार्वजनिक और निजी शैक्षणिक संस्थानों में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण का प्रावधान है। सुप्रीम कोर्ट ने 29 जनवरी 2014 को इस संशोधन की संवैधानिकता को बरकरार रखा था। नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर 10 साल तक क्यों सोते रहे और इस प्रावधान को कानूनी रूप से लागू करने के लिए कोई विधेयक क्यों नहीं लाए?

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