केजरीवाल की जमानत, झूठ और साजिशों के खिलाफ सत्य की जीत
दिल्ली आबकारी नीति घोटाले के मामले में अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है। आज सुप्रीम कोर्ट ने दो याचिकाओं पर फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट के जज सूर्यकांत ने आबकारी नीति भ्रष्टाचार मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल को नियमित जमानत देने का फैसला किया और इसी संबंध में दूसरे जज उज्जवल भुइयां ने भी उनके फैसले पर सहमति जताई। सुप्रीम कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल को 10 लाख के मुचलके की दो जमानत राशियों और कुछ शर्तों पर जमानत दी है।
केजरीवाल की जमानत, झूठ और साजिशों के खिलाफ सत्य की जीत
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जमानत मिलने के बाद मनीष सिसोदिया ने भाजपा पर तंज कसते हुए X पोस्ट में लिखा “झूठ और साज़िशों के ख़िलाफ़ लड़ाई में आज पुनः सत्य की जीत हुई है। एक बार पुनः नमन करता हूं बाबा साहेब अंबेडकर जी की सोच और दूरदर्शिता को, जिन्होंने 75 साल पहले ही आम आदमी को किसी भावी तानाशाह के मुक़ाबले मज़बूत कर दिया था।”
किन शर्तों पर मिली जमानत
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट द्वारा कुछ शर्तों पर जमानत दी गई है। जिसमें यह शर्तें शामिल हैं –
- दोनों जजों द्वारा 10-10 लाख के मुचलके पर
- मुकदमें में सहयोग करेंगे अरविंद केजरीवाल
- सीएम दफ्तर नहीं जाएंगे केजरीवाल
- केस को लेकर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे
- जांच में सहयोग करेंगे
जज कांत ने गिरफ्तारी को वैध बताया
जज कांत ने कहा कि तर्कों के अनुसार हमने तीन प्रश्न तैयार किए हैं। क्या गिरफ्तारी अवैध थी? क्या अपीलकर्ता को नियमित जमानत मिलनी चाहिए? क्या आरोप पत्र दाखिल करना परिस्थितियों में इतना बदलाव है, कि उसे ट्रायल के लिए भेजा जाए? उन्होंने आगे कहा कि हिरासत में लिए गए व्यक्ति को गिरफ्तार करना किसी भी तरह से गलत नहीं है। हमने यह पाया कि सीबीआई ने अपने आवेदन में उन कारणों को स्पष्ट किया है, जिससे उन्हें गिरफ्तारी करना जरूरी लगा।
जज भुइयां ने सीबीआई की गिरफ्तारी पर उठाए सवाल
सुप्रीम कोर्ट के जज भुइयां ने फैसला सुनाते हुए कहा कि गिरफ्तारी की आवश्यकता और समय पर मेरा एक दृष्टिकोण है। इसलिए मैं इस दृष्टिकोण से सहमत हूं कि अपीलकर्ता को जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए। ऐसा लग रहा है, कि ईडी मामले में अपीलकर्ता को नियमित जमानत दिए जाने के बाद ही सीबीआई सक्रिय हुई और गिरफ्तारी की मांग की। इस तरह की कार्यवाही गिरफ्तारी पर प्रश्न उठाती है। जहां तक गिरफ्तारी के आधारों का सवाल है तो यह गिरफ्तारी की अनिवार्यता को पूरा नहीं करते हैं।
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