मोदी सरकार की युवा विरोधी नीतियों के चलते देश में नौकरियों का अकाल पड़ गया

0

मल्लिकार्जुन खड़गे ने मोदी सरकार पर बेरोजगारी को लेकर तंज कसते हुए एक्स पोस्ट में लिखा, “बैंक ऑफ़ बड़ौदा की ताज़ा रिपोर्ट बताती है कि केवल 2022- 23 में ही देश की 375 कंपनियों में 2.43 लाख नौकरियां घट गईं। हमारे युवा कुछ मुट्ठीभर नौकरियां पाने के लिए लाखों की तादाद में चक्कर काट रहे हैं। मोदी सरकार की युवा विरोधी नीतियों के चलते देश में नौकरियों का अकाल पड़ गया है।”

बिहार में 21 हजार पदों पर 18 लाख आवदेन

खड़गे ने बिहार में चल रही सिपाही भर्ती को लेकर एक्स पोस्ट में लिखा, “बिहार में सिपाही भर्ती परीक्षा चल रही है, उसमें मात्र 21 हज़ार खाली पदों के लिए 18 लाख अभ्यर्थियों ने आवेदन किया है। इससे पहले वाली परीक्षा का पेपर 4 दिन पहले लीक हो गया था, जिसके चलते ये परीक्षा दोबारा से कराई जा रही है।” क्या ऐसे ही पेपर लीक होते रहेंगे? अगर ऐसा ही होता रहा, तो आप बेरोजगार युवाओं को कब तक घुमाते रहोगे?

यूपी में 60 हजार सिपाही भर्तियों पर 6.30 लाख आवेदन

कांग्रेस अध्यक्ष ने उत्तर प्रदेश में सिपाही भर्ती पर लीक हुए पेपर पर भाजपा सरकार पर निशाना साधा और एक्स पर लिखा, “उत्तर प्रदेश में 60 हज़ार सिपाहियों की भर्ती के लिए 26 राज्यों के 6.30 लाख युवाओं ने भी आवेदन किया है। इस परीक्षा का भी पेपर एक बार लीक हो चुका है।”

क्या भाजपा सरकार बन चुकी है पेपर लीक सरकार?

बार बार सरकारी नौकरियों के पेपर लीक हो जाते हैं। क्या भाजपा सरकार बेरोजगार युवाओं को रोजगार देने की आड़ में भ्रष्टाचार कर रही है? आपका इस बात को लेकर क्या मत है, आप हमे कॉमेंट बॉक्स में साझा कर सकते हैं। जिस राज्य में सरकारी पदों पर भर्तियों के पेपर होते हैं, वो हर बार समय से पहले ही लीक हो जाते हैं। ऐसे में भाजपा सरकार पेपर लीक को लेकर क्या इंतजाम कर रही है, कुछ समझ नहीं आ रहा है। ऐसा लग रहा है भाजपा इन कार्यों में खुद भी लिप्त है। अब सच्चाई क्या है यह तो भाजपा सरकार ही जानती है।

सभी क्षेत्रों में हुई नौकरियां कम

मल्लिकार्जुन खड़गे ने यह भी लिखा “केवल जुलाई के महीने तक ही, इस साल 1.24 लाख आईटी सेक्टर में नौकरियां घटीं, जिसमें भारत के युवाओं को खासा नुकसान हुआ। बैंकिंग, फाइनेंस, इंश्योरेंस, हॉस्पिटलिटी – सभी सेक्टरों में नौकरियां कम हुई हैं।”

चीनी कंपनी के निवेश के लाल कारपेट

खड़गे ने लिखा “ऊपर से मोदी सरकार चीन को “लाल आंख” नहीं, चीनी कंपनियों के निवेश के लिए “लाल कारपेट” बिछाने जा रही है। मोदी जी ने ग़लत methodology का इस्तेमाल करवा कर एक रिपोर्ट बनवाई और करोड़ों रोज़गार देने के झूठे दावे किये।”

ग्रामीण और शहरी आबादी की वृद्धि एक ही मान ली गई

खड़गे ने लिखा “KLEMS के डेटा से फ़र्ज़ी narrative गढ़ने के लिए मोदी सरकार ने Census का सहारा न लेकर, अलग-अलग वर्ष के लिए अलग-अलग आबादी के डेटा सेट का सहारा लिया, जिससे Worker Population Ratio ग़लत आया। ऊपर से ग्रामीण और शहरी आबादी की वृद्धि एक ही मान ली गई, जिससे Overestimation हुआ।”

चुनाव में भाजपा को इसका सबक ज़रूर मिलेगा

इसके अलावा यह अब जगजाहिर है कि इसमें ‘unpaid labour’ और ‘one- hour work per week’ को भी रोज़गार की श्रेणी में गिना गया है। भारत के हताश-निराश बेरोज़गार युवा मोदी सरकार के ये झूठे हथकंडे अब समझ गए हैं। आने वाले राज्यों के चुनाव में भाजपा को इसका सबक ज़रूर मिलेगा।

इसी तरह की ताजा अपडेट पाने के लिए हमारी वेबसाइट को ध्यान में रखें।

About The Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *