जाति जनगणना नहीं कराने से वंचित समुदायों को नुक़सान हुआ – जयराम रमेश
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने भाजपा सरकार को घेरते हुए X पोस्ट में लिखा “नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री और महायुति सरकार द्वारा जाति जनगणना कराने से इंकार करने के कारण महाराष्ट्र में पारंपरिक रूप से वंचित कई समुदायों को स्पष्ट रूप से नुक़सान हुआ है।”
सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण बढ़ाने की मांग
जयराम रमेश ने X पोस्ट में आगे लिखा “महाराष्ट्र में कई समुदाय वर्षों से जाति जनगणना और सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। मानव विकास सूचकांक के संकेतकों पर इन समुदायों का जाति के आधार पर पिछड़ापन स्पष्ट है, लेकिन उन्हें महायुति सरकार से कोई समर्थन नहीं मिला है।”
जाति जनगणना की दिशा में कोई सार्थक प्रगति नहीं
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने महाराष्ट्र सरकार पर तंज कसते हुए X पोस्ट में लिखा “महायुति के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने आरक्षण की मांगों को संबोधित करने के लिए अन्य राज्यों की कार्यप्रणाली का अध्ययन करने के बारे में बार-बार अस्पष्ट प्रतिबद्धताएं व्यक्त की हैं लेकिन इस दिशा में कोई सार्थक प्रगति नहीं हुई है।”
समान हक मिलना जरूरी
जयराम रमेश ने X पोस्ट में सबके सामान हक पर जोर देते हुए लिखा “कांग्रेस ने बार-बार राष्ट्रव्यापी जाति जनगणना और अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण पर 50% की सीमा को हटाने के लिए कहा है। इससे यह सुनिश्चित होगा कि भारत में प्रत्येक वंचित समुदाय उन अवसरों तक पहुंच पाने में सक्षम हो जिनके वे हक़दार हैं।”
कार्रवाई में देरी करने और टालते जाने की रणनीति
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने महाराष्ट्र में कांग्रेस की आगामी चुनावी जीत को सुनिश्चित मानते हुए X पोस्ट में लिखा “महायुति ने नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री की रणनीति से सीख ली है और इस मामले पर कार्रवाई में देरी करने और टालते जाने की रणनीति अपनाई है। 23 नवंबर से महा विकास अघाड़ी महाराष्ट्र में सत्ता में वापस आएगी और छत्रपति शिवाजी महाराज, छत्रपति शाहूजी महाराज, डॉ. भीमराव अंबेडकर और ज्योतिबा फुले के आदर्शों को पुनः स्थापित करेगी।”
जाति जनगणना बना मुद्दा
भाजपा सरकार को जातिगत जनगणना पर कांग्रेस द्वारा बार बार घेरा जाता है, लेकिन भाजपा सरकार को कोई फर्क नहीं पड़ता। कांग्रेस अपने हर भाषण में जातिगत जनगणना को लेकर प्रभावी नजर आती है और जातिगत जनगणना करा कर लोगों में समान रूप से अधिकार बांटना चाहती है। क्या भाजपा जानबूझकर जातिगत जनगणना नहीं करवाना चाहती? क्या जातिगत जनगणना होनी चाहिए? इस सवालों पर आप अपनी क्या राय रखते हैं हमें कॉमेंट बॉक्स में जरूर साझा करें।
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