मेक इन इंडिया सीधे तौर पर फेक इन इंडिया बन गया है – जयराम रमेश

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जयराम रमेश

जयराम रमेश

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने भाजपा सरकार की नीतियों पर सवाल उठाते हुए X पोस्ट में लिखा “जब नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री ने 2014 में अपने हर इवेंट की तरह बड़े धूम-धाम के साथ ‘मेक इन इंडिया’ की घोषणा की थी, तब चार उद्देश्य निर्धारित किए गए थे। 10 साल बाद उनकी वास्तविक स्थिति क्या है?”

वास्तविक स्थिति को लेकर एक पड़ताल – जयराम रमेश

जयराम रमेश ने तथ्यों पर बात करते हुए X पोस्ट में लिखा

पहला जुमला : भारतीय उद्योग की विकास दर को बढ़ाकर 12-14% प्रति वर्ष करना

हक़ीक़त : 2014 के बाद से मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र की वार्षिक वृद्धि दर औसतन लगभग 5.2% रही है।

दूसरा जुमला : 2022 तक औद्योगिक क्षेत्र में 100 मिलियन नौकरियां पैदा करना

हक़ीक़त : मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र के श्रमिकों की संख्या 2017 में 51.3 मिलियन थी, जो गिरकर 2022-23 में 35.65 मिलियन हो गई।

तीसरा जुमला : 2022 तक और बाद में 2025 तक मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र की हिस्सेदारी को GDP के 25% तक ले जाएंगे

हक़ीक़त : भारत के सकल मूल्य वर्धन में मैन्युफैक्चरिंग का हिस्सा 2011-12 में 18.1% था। यह गिरकर 2022-23 में 14.3% रह गया है।

चौथा जुमला : मूल्य श्रृंखला में ऊपर उठकर चीन का स्थान लेते हुए भारत को ‘दुनिया की नई फैक्ट्री’ बनाएंगे;

हक़ीक़त : चीन का स्थान लेना तो दूर, हम आर्थिक रूप से उसी पर निर्भर हो गए हैं। चीन से आयात का हिस्सा 2014 में 11% था, जो बढ़कर पिछले कुछ वर्षों में 15% हो गया है।”

मेक इन इंडिया सीधे तौर पर फेक इन इंडिया बन गया

जयराम रमेश ने X पोस्ट में लिखा “पिछले दशक में हमारे देश का आर्थिक नीति निर्माण स्थिर, पूर्वानुमान एवं समझदारी से भरा (उदाहरण के लिए, नोटबंदी को याद कीजिए) नहीं रहा है। डर और अनिश्चितता के माहौल के कारण निजी निवेश में वृद्धि बाधित हुई है। कंपटीशन को दबा दिया गया है क्योंकि मोदी जी के क़रीबी एक या दो बड़े बिजनेस ग्रुप्स को समर्थन प्राप्त है और उन्हें ही समृद्ध किया गया है। मेक इन इंडिया सीधे तौर पर फेक इन इंडिया बन गया है।”

चीन से बढ़ता व्यापार कुछ और ही दृश्य

एक तरफ मोदी सरकार ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा देती है वहीं दूसरी तरफ चीन से लगातार व्यापार बढ़ रहा है। कुछ समय पहले सरकार ने कुछ चाइनीज एंड्रॉयड ऐप्स पर बैन भी लगाया था, जिसमें उन्होंने आत्मनिर्भर भारत की मिशाल पेश की थी, लेकिन दूसरी तरफ लगातार चीन से बढ़ता व्यापार कुछ और ही दृश्य दिखा रहा है। क्या भाजपा जनता के सामने कुछ और पर्दे के पीछे कुछ और ही है? बाकी आप इस मामले पर अपनी क्या राय रखते हैं, हमें कॉमेंट बॉक्स में जरूर साझा करें।

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