सभापति सत्ता पक्ष और PM का गुणगान कर रहे हों तो विपक्ष की कौन सुनेगा?
कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने भाजपा सरकार और सदन सभापति को घेरते हुए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा “आमतौर पर विपक्ष चेयरमैन से प्रोटेक्शन मांगता है, वही विपक्ष के संरक्षक होते हैं। लेकिन अगर खुद सभापति सत्ता पक्ष और प्रधानमंत्री का गुणगान कर रहे हों तो विपक्ष की कौन सुनेगा? सभापति हमारी ओर ध्यान नहीं देते, लेकिन सत्ता पक्ष को बोलने के लिए इशारा करते हैं। जब विपक्ष सरकार से सवाल पूछता है, तो सभापति सत्ता पक्ष के जवाब देने से पहले ही उनकी ढाल बनकर खडे़ रहते हैं।”
अविश्वास प्रस्ताव लाना पड़ा
मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा “सभापति के आचरण ने देश की गरिमा को बहुत नुकसान पहुंचाया है। उन्होंने देश के संसदीय इतिहास में ऐसी स्थिति ला दी है कि हमें उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाना पड़ा है। उनके साथ हमारी कोई निजी दुश्मनी या राजनीतिक द्वेष नहीं है। हमने बहुत सोच-समझकर, देश के संविधान और लोकतंत्र को बचाने के इरादे से मजबूरी में ये कदम उठाया है।”
विपक्ष के सांसदों को बोलने से रोका जाता है
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा “सदन में लंबा अनुभव रखने वाले कई नेता हैं। सदन में जो सदस्य हैं, वे डॉक्टर, प्रोफेसर, पत्रकार समेत अनेक पेशे से जुड़े रहे हैं और कई सदस्य मंत्री भी रह चुके हैं। सभापति सदन में हेडमास्टर की तरह सदस्यों की स्कूलिंग करते हैं। उनको प्रवचन सुनाते हैं। यदि विपक्ष के सांसद सदन में 5 मिनट बोलते हैं, तो 10 मिनट खुद सभापति बोलते हैं। सदन में विपक्ष के सांसदों को बोलने से रोका जाता है। सभापति की निष्ठा संविधान और संवैधानिक परंपराओं की जगह सत्ता पक्ष के लिए है।”
सदन बंद करने की कोशिश सत्ता पक्ष और सभापति की
मल्लिकार्जुन खड़गे ने आगे कहा “सभापति अपने अगले प्रमोशन के लिए सरकार के प्रवक्ता बनकर काम कर रहे हैं। मुझे यह कहते हुए संकोच नहीं है कि: ‘The biggest disruptor in Rajya Sabha is the Chairman himself’ – सदन अगर बाधित होता है तो उसके सबसे बड़े कारण सभापति हैं। सभापति दूसरों को सबक सिखाते हैं और स्वयं बार-बार व्यवधान उत्पन्न करते हैं। यह देखा जा सकता है कि सदन बंद करने की कोशिश सत्ता पक्ष और सभापति की ओर से ज्यादा होती है।”
चेयरमैन के द्वारा हो रहा पक्षपात
कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा “बाबासाहेब डॉ. अंबेडकर ने संविधान के ड्राफ्ट में ये साफ लिखा था- Vice-President of India shall be the ex-officio Chairman of the Council of States. भारत के पहले उपराष्ट्रपति और राज्य सभा के सभापति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने 16 मई 1952 को कहा था कि ‘मैं किसी भी पार्टी से नहीं हूं। मतलब, मैं हर पार्टी से जुड़ा हुआ हूं।’ लेकिन हमें अफसोस है कि आज चेयरमैन के द्वारा हो रहे पक्षपात ने विपक्षी पार्टियों को उनके खिलाफ ये प्रस्ताव लाने पर मजबूर कर दिया।”
सभापति जी सदन के अंदर प्रतिपक्ष के नेताओं को विरोधियों की तरह देखते हैं
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा “पिछले 3 वर्षों में उनका आचरण, उनके पद की गरिमा के विपरीत रहा है। कभी वे सरकार की तारीफ में कसीदे पढ़ने लगते हैं, तो कभी खुद को RSS का एकलव्य बताने लगते हैं। इस तरह की बयानबाजी उनके पद को शोभा नहीं देती। सभापति जी सदन के अंदर प्रतिपक्ष के नेताओं को विरोधियों की तरह देखते हैं। सीनियर-जूनियर कोई भी हो, वे विपक्षी नेताओं पर आपत्तिजनक टिप्पणियां कर उन्हें अपमानित भी करते हैं।”
इस मुद्दे पर आप अपनी क्या राय रखते हैं हमें कॉमेंट बॉक्स में जरूर साझा करें। इस तरह की ताजा न्यूज अपडेट पाने के लिए हमारी वेबसाइट को ध्यान में रखें।