वन अधिकार कानून को भाजपा ने कमज़ोर क्यों किया

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वन अधिकार कानून

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महाराष्ट्र में चुनाव को लेकर सभी पार्टियां अपनी-अपनी तैयारी कर रही हैं, जिसको लेकर पीएम मोदी की आज पहली रैली है। प्रधानमंत्री मोदी आज दोपहर 12:00 बजे धूले में लोगों को संबोधित करेंगे और उसके बाद वे नासिक में 2:00 बजे जनसभा करेंगे। उनकी महाराष्ट्र में रैली को लेकर जयराम रमेश ने पीएम मोदी को घेरते हुए उनसे तीन सवाल पूछे हैं।

वन अधिकार कानून को भाजपा ने कमज़ोर क्यों किया है?

वर्ष 2006 में कांग्रेस ने क्रांतिकारी वन अधिकार अधिनियम (FRA) पारित किया था। इस कानून ने आदिवासियों और वन में रहने वाले अन्य समुदायों को अपने ख़ुद के जंगलों का प्रबंधन करने और उनसे प्राप्त उपज से आर्थिक रूप से लाभ उठाने का कानूनी अधिकार दिया था। लेकिन भाजपा सरकार FRA के कार्यान्वयन में बाधा डालती रही है, जिससे लाखों आदिवासी इसके लाभों से वंचित हो रहे हैं। महाराष्ट्र में कुल फाइल किए गए 4,01,046 व्यक्तिगत क्लेम्स में से केवल 52% (2,06,620 क्लेम्स) मंजूर किए गए हैं। वहीं इसके तहत वितरित की गई भूमि, स्वामित्व सामुदायिक अधिकारों के लिए पात्र 50,045 वर्ग किलोमीटर का केवल 23.5% (11,769 वर्ग किलोमीटर) है। महाराष्ट्र की महायुति सरकार राज्य के आदिवासी समुदायों को उनके अधिकार देने में क्यों विफल रही है?

गुजरात में सफेद प्याज़ की खेती करने वाले किसानों को महाराष्ट्र के प्याज़ उगाने वाले किसानों की तुलना में तरजीह क्यों दी गई?

दिसंबर 2023 से, महाराष्ट्र में प्याज़ के किसान मोदी सरकार के प्याज निर्यात पर प्रतिबंध से जूझ रहे हैं। खेती के मौसम के दौरान, राज्य असंतोषजनक वर्षा और जल संकट से प्रभावित था और अधिकांश किसान अपनी सामान्य फ़सल का केवल 50% ही उत्पादन कर पाए थे। जब अंत में जब प्याज़ की कटाई और खुदाई हुई तो किसानों को मनमाने निर्यात प्रतिबंध का सामना करना पड़ा, जिसके कारण बिक्री की कीमतें बेहद कम हो गईं।

परिणामस्वरूप, किसानों को काफी नुक़सान हुआ है। उनके जले पर नमक छिड़कते हुए, तब मोदी सरकार ने सफेद प्याज़ के निर्यात की अनुमति दे दी थी, जो मुख्य रूप से गुजरात में उगाया जाता है। महाराष्ट्र के किसानों – जो मुख्य रूप से लाल प्याज उगाते हैं – को छोड़ दिया गया था। क्या नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री मोदी बता सकते हैं कि उनकी सरकार ऐसा क्यों कर रही थी? उन्होंने गुजरात के प्याज किसानों की चिंताओं को विशेष रूप से समझते हुए महाराष्ट्र के प्याज़ किसानों की इतनी बेरहमी से उपेक्षा क्यों की?

महायुति ने नासिक नगर निगम का चुनाव क्यों नहीं कराया?

नासिक नगर निगम सहित राज्य के अन्य नगर निगमों में चुनाव कराने में महायुति सरकार की विफलता लोकतंत्र और नासिक के नागरिकों के अधिकारों पर हमला है। सरकार का दावा है कि देरी ओबीसी आरक्षण और वार्ड परिसीमन जैसे मुद्दों के कारण हुई है, लेकिन वास्तविकता यह है कि महायुति मतदाताओं का सामना करने से डर रही थी, उसे इस साल चुनावों से पहले हार का डर था, जिससे उसकी छवि खराब हो जाती। निर्वाचित प्रतिनिधियों के बिना, नासिक के नागरिकों को अपनी आवाज़ सुनाने और शिकायतों का समाधान करवाने के लिए संघर्ष करना पड़ा है। भाजपा ने नासिक के लोगों को धोखा क्यों दिया?

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