वे इंजीनियरिंग कॉलेज कहां हैं जिनका PM मोदी ने 2014 में वादा किया था?
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने भाजपा सरकार पर तंज कसते हुए X पोस्ट में लिखा “नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री आज झारखंड में हैं। एक भी वोट मांगने से पहले उन्हें इन तीन सवालों के जवाब देने चाहिए – 1. कोरबा-लोहरदगा और चतरा-गया रेलवे लाइन का क्या हुआ? 2.वे इंजीनियरिंग कॉलेज कहां हैं जिनका नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री ने 2014 में वादा किया था? 3. कोडरमा में मेडिकल कॉलेज का क्या हुआ?”
कोरबा-लोहरदगा और चतरा-गया रेलवे लाइन का क्या हुआ?
लोहरदगा और चतरा के लोग शिक्षा, रोज़गार और व्यापार के अवसरों तक पहुंच में सुधार के लिए वर्षों से बेहतर रेल कनेक्टिविटी की मांग कर रहे हैं। दुर्भाग्य से, मोदी सरकार के सत्ता में आने के दस साल बाद और लोहरदगा से लगातार दो बार भाजपा सांसदों के चुने जाने के बाद भी इस संबंध में विशेष प्रगति नहीं हुई है। अक्टूबर 2022 में, रेल मंत्रालय ने चतरा-गया रेल परियोजना को मंजूरी दी लेकिन दो साल बाद भी कोई प्रगति नहीं हुई है। कोरबा-गुमला-लोहरदगा लाइन के लिए लोगों को और कितना इंतज़ार करना होगा? चतरा-गया लाइन के लिए लोगों को और कितना इंतज़ार करना होगा? क्या नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री इस आवश्यक परियोजना को पूरा करने के लिए कुछ कर रहे हैं?
वे इंजीनियरिंग कॉलेज कहां हैं जिनका नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री ने 2014 में वादा किया था?
झारखंड में 2014 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान अपने प्रचार अभियान में मोदी जी ने राज्य में एक आईटी संस्थान और इंजीनियरिंग कॉलेजों समेत कई औद्योगिक और शैक्षिक प्रोजेक्ट्स का वादा किया था। लेकिन अब तक केवल दो संस्थान ही स्थापित हुए हैं – NIELIT रांची और CIPET खूंटी। इन संस्थानों के पास भी क्रमशः 9 और 7 वर्षों के संचालन के बाद कोई स्थायी परिसर नहीं है। दूसरी ओर, यूपीए सरकार ने आईआईएम रांची और एक केंद्रीय विश्वविद्यालय जैसे अच्छी क्वालिटी वाले संस्थानों की स्थापना की थी। नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री शैक्षिक संस्थानों के वादे पूरे करने में क्यों विफल रहे जो उन्होंने दस साल पहले किए थे?
कोडरमा में मेडिकल कॉलेज का क्या हुआ?
नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री ने बार-बार कोडरमा में मेडिकल कॉलेज बनाने का वादा किया है, लेकिन यह प्रोजेक्ट अभी तक साकार नहीं हुआ है। यह कॉलेज 70 एकड़ भूमि पर बनाया जाना था और इसमें 100 एमबीबीएस की सीटें होनी थीं। प्रधानमंत्री ने छह साल पहले 2018 में इसकी आधारशिला रखी थी और 2019 में इस परियोजना को फिर से पूरा करने का वादा किया था। क्या प्रधानमंत्री कभी अपने इस वादे को पूरा करने का इरादा रखते हैं या यह भारतीय जुमला पार्टी की एक और “मोदी की फ़र्ज़ी गारंटी” है?
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