किसानों की आत्महत्या रोकने के लिए प्रधानमंत्री क्या कर रहे हैं?
नरेंद्र मोदी वर्धा जा रहे हैं, जिसको लेकर कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने पीएम मोदी से 3 सवाल करते हुए X पोस्ट में लिखा “1.किसानों की आत्महत्या रोकने के लिए प्रधानमंत्री क्या कर रहे हैं? 2. वन अधिकार कानून को लागू करने के मामले में भाजपा ने आदिवासियों को निराश क्यों किया है। 3. गांधी और गोडसे के बीच प्रधानमंत्री कहां खड़े हैं?”
किसानों की आत्महत्या रोकने के लिए प्रधानमंत्री क्या कर रहे हैं?
- महाराष्ट्र में एक दिन में औसतन सात किसान अपना जीवन समाप्त कर लेते हैं। दिल दहला देने वाला यह आंकड़ा किसी और की तरफ़ से नहीं बल्कि राज्य के राहत और पुनर्वास मंत्री की ओर से आया है। उन्होंने बताया कि पिछले साल जनवरी से अक्टूबर के बीच 2,366 किसानों की आत्महत्या से मौत हुई है। कारण स्पष्ट हैं: पिछले साल 60% ज़िलों को सूखे की स्थिति का सामना करना पड़ा लेकिन सरकार से कोई मदद नहीं मिली। पिछले साल 60 फ़ीसदी ज़िलों में सूखे की स्थिति थी लेकिन सरकार की ओर से कोई मदद नहीं मिली।
जब राज्य के आधे से ज़्यादा हिस्से में बेमौसम बारिश से फसलें बर्बाद हो गईं, तो किसानों को क़र्ज़ माफी की सुविधा दी गई, लेकिन सॉफ्टवेयर में गड़बड़ी के कारण 6.56 लाख किसान इस राहत से वंचित रह गए। किसानों को लेकर सरकार और प्रशासन की उदासीनता के विपरीत कांग्रेस ने लगातार किसानों को स्वामीनाथन समिति की सिफारिश के अनुसार एमएसपी, इसे सुचारू रूप से लागू करने के लिए एक स्थायी आयोग की स्थापना, कृषि ऋण माफ़ी एवं 30 दिनों के भीतर सभी फ़सल बीमा क्लेम्स के निपटान की गारंटी दी है। महाराष्ट्र और भारत के किसानों का समर्थन करने के लिए भाजपा के पास क्या विज़न क्या है?
वन अधिकार कानून को लागू करने के मामले में भाजपा ने आदिवासियों को निराश क्यों किया है।
- वर्ष 2006 में कांग्रेस ने क्रांतिकारी वन अधिकार अधिनियम (FRA) पारित किया था। इस कानून ने आदिवासियों और वन में रहने वाले अन्य समुदायों को अपने ख़ुद के जंगलों का प्रबंधन करने और उनसे प्राप्त उपज से आर्थिक रूप से लाभ उठाने का कानूनी अधिकार दिया था। लेकिन भाजपा सरकार FRA के कार्यान्वयन में बाधा डालती रही है, जिससे लाखों आदिवासी इसके लाभों से वंचित हो रहे हैं। महाराष्ट्र में कुल फाइल किए गए 4,01,046 व्यक्तिगत क्लेम्स में से केवल 52% (2,06,620 क्लेम्स) मंजूर किए गए हैं। वहीं इसके तहत वितरित की गई भूमि, स्वामित्व सामुदायिक अधिकारों के लिए पात्र 50,045 वर्ग किलोमीटर का केवल 23.5% (11,769 वर्ग किलोमीटर) है। महाराष्ट्र में भाजपा सरकार राज्य के आदिवासी समुदायों को सुविधाएं देने में क्यों विफल रही है?
गांधी और गोडसे के बीच प्रधानमंत्री कहां खड़े हैं?
- वर्धा वह शहर है जहां कभी महात्मा गांधी रहते थे। प्रधानमंत्री की पार्टी आज महात्मा के आदर्शों पर ख़तरनाक ढंग से हमला कर रही है। उनके कुछ नेताओं ने महात्मा के लिए अपशब्दों का इस्तेमाल किया और उनका मज़ाक उड़ाया है। उनकी पार्टी के अन्य नेताओं ने कहा कि वे गोडसे और गांधी के बीच चयन करने में असमर्थ हैं। देश भर में गांधीवादी संस्थानों – वाराणसी में अखिल भारतीय सर्व सेवा संघ से लेकर गुजरात में साबरमती आश्रम तक – को आरएसएस और उसके सहयोगियों द्वारा ध्वस्त किया जा रहा है और अधिग्रहण किया जा रहा है। वाराणसी में सर्व सेवा संघ से जुड़े लोग अभी सरकार द्वारा अपनी पवित्र संस्था को कुचले जाने के विरोध में 100 दिनों के उपवास पर हैं। क्या नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री के पास अपनी पार्टी के कार्यों के बचाव में कोई तर्क है? गांधी और गोडसे के बीज प्रधानमंत्री कहां खड़े हैं?
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