कांग्रेस ने नए आपराधिक कानूनों को लेकर भाजपा पर बोला हमला, कहा – आपराधिक न्याय कानून वंचित तबकों के लिए खतरनाक
केन्द्र सरकार द्वारा लोकसभा और राज्यसभा में भारी बहुमत के साथ तीन नए आपराधिक न्याय विधेयकों को पास कराए जाने के बाद अब राष्ट्रपति ने भी इन तीनों विधेयकों को मंजूरी दे दी है। इसके बाद तीनों विधेयकों को लेकर जल्द ही गृह मंत्रालय द्वारा अधिसूचना जारी की जा सकती है। वहीं इन तीनों विधेयकों को लेकर अब कांग्रेस पार्टी ने भारतीय जनता पार्टी पर हमला बोला है। कांग्रेस पार्टी का कहना है कि आपराधिक न्याय कानून वंचित तबकों के लिए खतरनाक हैं। इस दौरान कांग्रेस पार्टी ने तीनों विधेयकों को संसद में पेश किए जाने के दौरान विपक्षी सांसदों की गैर मौजूदगी को लेकर भी आपत्ति दर्ज की है।
पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने बोला हमला
तीनों विधेयकों को लेकर कांग्रेस पार्टी के महासचिव जयराम रमेश ने भारतीय जनता पार्टी पर हमला बोलते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट शेयर किया है, जिसमें उन्होंने लिखा है, “भारत के 146 सांसदों के जानबूझकर निलंबन की मदद से पिछले हफ्ते संसद में पारित किए गए तीन आपराधिक न्याय विधेयकों को अब राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई है। कई प्रतिष्ठित वकील और न्यायविद पहले ही इसके खतरनाक परिणामों की ओर इशारा कर चुके हैं, खासकर समाज के सबसे वंचित वर्गों के लिए।”
नई सरकार से की कठोर प्रविधानों को हटाने की मांग
तीनों विधेयकों को लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने भी आपत्ति दर्ज कराई है। उन्होंने इन तीनों विधेयकों के बाद नई भारतीय दंड संहिता को अधिक कठोर बताया है। वहीं नई सरकार से इन कठोर प्रविधानों को हटाने की मांग की है। उन्होंने कहा, “तीन नए आपराधिक न्याय विधेयकों के बाद नई भारतीय दंड संहिता और अधिक कठोर हो गई है। 2024 में जो भी सरकार बने, उसे इन कानूनों की समीक्षा करनी चाहिए और कठोर प्रविधानों को हटा देना चाहिए।”
90 प्रतिशत मौजूदा कानून और विपक्षी सांसदों की अनुपस्थिति का आरोप
राष्ट्रपति द्वारा तीनों विधायकों को मंजूरी मिलने के बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा, “जब 146 विपक्षी सांसद संसद से निलंबन का सामना कर रहे थे। जिस तरह से ये विधेयक पारित हुए, मुझे लगता है कि हमारी संवैधानिक संस्थाओं को इस तरह से काम नहीं करना चाहिए था।” आम जनता ने भी इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि विधेयकों के पास होने के दौरान विपक्षी सांसदों की मौजूदगी भी आवश्यक थी।