GDP: Make In India सिर्फ़ Make-Believe दिखावा in India बनकर रह गया

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देश की GDP को लेकर जो आंकड़े सामने आए हैं वे बिल्कुल भी अच्छे नहीं हैं। पिछले 18 महीनों में भारत की GDP सबसे निचले स्तर पर है। इस पर अपनी चिंता जाहिर करते हुए कांग्रेस नेता जयराम रमेश और राहुल गांधी ने भाजपा सरकार को घेरा। जयराम रमेश ने X पोस्ट में लिखा “भारतीय अर्थव्यवस्था में मैन्युफैक्चरिंग ग्रोथ में निराशाजनक गिरावट और Make In India की विफलता पर हमारा बयान, जो सिर्फ़ Make-Believe (दिखावा) in India बनकर रह गया है।”

GDP ग्रोथ रेट में निराशाजनक गिरावट का खुलासा

जयराम रमेश ने X पर लिखा “तीन दिन पहले 2024 के जुलाई-सितंबर तिमाही के लिए जारी हुए विकास दर के आंकड़ों से GDP ग्रोथ रेट में निराशाजनक गिरावट का खुलासा हुआ। उतना ही ध्यान देने योग्य और चिंताजनक मैन्युफैक्चरिंग ग्रोथ रेट का गिरकर आश्चर्यजनक रूप से 2.2% पर आना भी है। इस बीच, निर्यात ग्रोथ में भी गिरावट आई है – यह 2.8% पर पहुंच गया है। ये डेटा भारत को मैन्युफैक्चरिंग निर्यात के लिए एक नया वैश्विक केंद्र बनाने के प्रधानमंत्री के एक दशक पुराने वादे की निराशाजनक वास्तविकता को सामने लाता है। ये दुर्भाग्यपूर्ण वास्तविकता है कि सरकार की प्रमुख योजनाओं में से एक मेक इन इंडिया के शुरू होने के दस साल बाद भी भारत का मैन्युफैक्चरिंग लगभग स्थिर है और हमारा निर्यात लड़खड़ा रहा है।”

भारत की GDP ग्रोथ रेट दो साल में सबसे नीचे – राहुल गांधी

राहुल गांधी ने X पोस्ट में लिखा “भारत की GDP ग्रोथ रेट दो साल में सबसे नीचे 5.4% पर आ गई है। बात साफ है – भारतीय अर्थव्यवस्था तब तक तरक्की नहीं कर सकती जब तक इसका फ़ायदा सिर्फ़ गिने-चुने अरबपतियों को मिल रहा हो और किसान, मज़दूर, मध्यमवर्ग और ग़रीब तरह-तरह की आर्थिक समस्याओं से जूझ रहे हों।”

स्थिति कितनी चिंताजनक है

राहुल गांधी ने X पर लिखा “इन तथ्यों पर एक नज़र डालिए, देखिए स्थिति कितनी चिंताजनक है:

  • खुदरा महंगाई दर बढ़कर 14 महीने के उच्चतम स्तर 6.21% पर पहुंच गई है। पिछले साल अक्टूबर की तुलना में इस वर्ष आलू और प्याज़ की क़ीमत लगभग 50% बढ़ गई है।
  • रुपया 84.50 के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है।
  • बेरोज़गारी पहले ही 45 वर्षों का रिकॉर्ड तोड़ चुकी है।
  • पिछले 5 सालों में मज़दूरों, कर्मचारियों और छोटे व्यापारियों की आमदनी या तो ठहर गई है या काफी कम हो गई है।
  • आमदनी कम होने से मांग में भी कमी आई है। 10 लाख से कम क़ीमत वाले कारों की बिक्री में हिस्सेदारी घटकर 50% से कम हो गई है, जो 2018-19 में 80% थी।
  • सस्ते घरों की कुल बिक्री में हिस्सेदारी घटकर क़रीब 22% रह गई है, जो पिछले साल 38% थी। FMCG प्रोडक्ट्स की मांग पहले से ही कम होती जा रही है।
  • कॉरपोरेट टैक्स का हिस्सा पिछले 10 सालों में 7% कम हुआ है, जबकि इनकम टैक्स 11% बढ़ा है।
  • नोटबंदी और GST की मार से अर्थव्यवस्था में मैन्युफैक्चरिंग का हिस्सा घटकर 50 वर्षों में सबसे कम सिर्फ़ 13% रह गया है। ऐसे में नई नौकरियों के अवसर कैसे बनेंगे?”

भारत की अर्थव्यवस्था के लिए एक नई सोच चाहिए

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने X पोस्ट में आगे लिखा “इसीलिए भारत की अर्थव्यवस्था के लिए एक नई सोच चाहिए और बिज़नेसेस के लिए एक न्यू डील उसका अहम भाग है। सबको समान रूप से आगे बढ़ने का अवसर मिलेगा, तभी हमारी अर्थव्यवस्था का पहिया आगे बढ़ेगा।”

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