देश में जनसंख्या वृद्धि दर से ज्यादा तेजी से छात्र आत्महत्या कर रहे हैं
कांग्रेस ने अपने आधिकारिक एक्स अकाउंट से केंद्र की मोदी सरकार पर तंज कसते हुए पोस्ट में लिखा “देश में जिस दर से जनसंख्या बढ़ रही, उससे ज्यादा तेजी से छात्र आत्महत्या कर रहे हैं। लेकिन मोदी सरकार इस खतरनाक स्थिति को देखकर भी खामोश है।”
पिछले 10 सालों में हुई तेजी से बढ़ोतरी
कांग्रेस ने पिछले कई सालों से लगातार बढ़ रहे छात्रों की आत्महत्या के आंकड़ों पर चिंता जाहिर करते हुए एक्स पोस्ट में लिखा, “पिछले 10 सालों से अब तक छात्रों की आत्महत्या में 50% बढ़ोतरी हुई और छात्राओं की आत्महत्या में 61% तक की बढ़ोतरी हुई है, जो कि एक बहुत बड़ी संख्या है। देश में छात्र/छात्राएं बहुत ही बुरी स्थिति में हैं।”
करियर की चिंता समेत कई सारे दबाव
पिछले 10 सालों में बढ़ी बेरोजगारी और लगातार हो रहे पेपर लीक की चिंता से छात्रों के ऊपर बढ़े दबाव को लेकर कांग्रेस में एक्स पोस्ट में लिखा “देश में छात्र/ छात्राएं बहुत ही बुरी स्थिति में हैं। करियर की चिंता समेत वे कई सारे दबावों को झेल रहे हैं।”
देश में रोजगार बड़ा मुद्दा
भारत में बेरोज़गारी पिछले दस वर्षों से बड़ा मुद्दा है। कम पढ़े लिखे लोग तो कोई ना कोई कार्य कर लेते हैं, लेकिन पढ़े लिखे लोग अपनी शिक्षा के अनुसार नौकरी ढूंढते है और नहीं मिलने कारण वे दर- दर की ठोकरें खाने के लिए मजबूर हो जाते हैं।
बढ़ती आत्महत्या के आंकड़े
अब तक, देश में मीडिया और शोध संस्थान शिक्षित बेरोजगारों के आंकड़े जारी करते थे। लेकिन कोरोना महामारी के बाद, शिक्षित युवाओं में बढ़ती आत्महत्या की प्रवृत्ति के आंकड़े सामने आ रहे हैं, जो अत्यंत चिंताजनक हैं। एक नई रिपोर्ट के अनुसार, भारत में छात्रों के बीच आत्महत्याओं की घटनाएं बढ़ गई हैं। यह वृद्धि जनसंख्या वृद्धि दर और समग्र आत्महत्या प्रवृत्तियों को पार करती हुई चिंताजनक वार्षिक दर से हो रही है।
राजस्थान 10वें स्थान पर
देश में छात्रों की आत्महत्या के मामलों ने तेजी से इजाफा हो रहा है। राष्ट्रीय अपराध रेकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों पर आधारित रिपोर्ट के अनुसार, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और मध्य प्रदेश में छात्रों ने सबसे ज्यादा आत्महत्या की है। राजस्थान का कोटा आत्महत्या के मामलों में हमेशा चर्चा में रहता है, लेकिन इस रिपोर्ट के अनुसार वो 10वें स्थान पर है।
दोगुनी हुई आत्महत्या दर
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के अनुसार “छात्र आत्महत्याएं: भारत में फैली महामारी” रिपोर्ट बताती है कि कुल आत्महत्याओं में हर वर्ष 2% की बढ़ोतरी हो रही है, लेकिन छात्र आत्महत्याओं में 4% की बढ़ोतरी हो रही है। ये आंकड़े तब सामने आए है जब ऐसे मामलों की रिपोर्ट कम ही होती है। पिछले 2 दशकों में, छात्र आत्महत्याएं 4 प्रतिशत की दर से बढ़ी हैं, जो राष्ट्रीय औसत से दोगुनी है।
क्या मोदी सरकार बेरोजगारी दूर करने में विफल है? क्या केंद्र सरकार छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है? ये सवाल उठने स्वाभाविक है। बढ़ती हुई आत्महत्या दर को लेकर आपके क्या विचार है, हमें कॉमेंट बॉक्स में जरूर साझा करें।
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