स्मार्ट मीटर पर NDA सरकार हमारे सवालों का जवाब दें
राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव ने भाजपा नेतृत्व वाली NDA सरकार को बिजली मीटर के बिल पर घेरते हुए X पोस्ट में लिखा “स्मार्ट मीटर पर NDA सरकार हमारे सवालों का जवाब दें! देशभर में सबसे कम प्रति व्यक्ति आय वाले राज्य में स्मार्ट मीटर लगा बिजली दरों को दोगुना कर एवं सबसे महंगी बिजली बेच नीतीश-भाजपा सरकार बिहारवासियों पर अत्याचार कर रही है। स्मार्ट मीटर के नाम पर हो रही सरकारी लूट से हर बिहारवासी त्रस्त है।”
स्मार्ट मीटर लगने के बाद बिल हुआ दोगुना
तेजस्वी यादव ने लिखा “लगभग सभी उपभोक्ताओं का ऐसा मानना है कि नए स्मार्ट मीटर लगने से उनका बिजली बिल दोगुना या डेढ़ गुना बढ़ चुका है। पूरे बिहार में लोग शिकायतें कर रहे हैं कि बिजली का बिल डबल हो गया है। सरकार बताएं कि ऐसा क्यों हो रहा है।
स्मार्ट मीटर ने नाम पर अवैध वसूली
राष्ट्रीय जनता दल के नेता ने X पर लिखा “बिजली के स्मार्ट मीटर में गड़बड़ी होने के कारण यदि यह मान लिया जाए कि हर घर से मात्र ₹100 का ही फर्जीवाडा हो रहा है तो नीतीश सरकार पूरे बिहार के उपभोक्ताओं से प्रति माह हजारों करोड़ रुपए की अवैध वसूली कर रही है। स्मार्ट मीटर मुद्दा हर घर से जुड़ा हुआ है और हर घर से स्मार्ट मीटर के विरुद्ध आवाज आ रही है। स्मार्ट मीटर के नाम पर बिजली कंपनियों, अधिकारियों और सत्तारूढ़ नेताओं की जो मिलीभगत है उसे तुरंत समाप्त किया जाना चाहिए।”
इलेक्ट्रिसिटी इंफ्रास्ट्रक्चर Outdated है
बिहार इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेट्री कमीशनऔर सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन के ग़ज़ट में स्मार्ट मीटर लगाने की कोई बाध्यता नहीं है तो फिर सरकार किसके फ़ायदे के लिए ऐसा कर रही है? बिहार का इलेक्ट्रिसिटी इंफ्रास्ट्रक्चर Outdated है। उपभोक्ता कहता है कि मीटर Fast है, सरकार कह रही है कि Meter Fast नहीं है तो यह निर्णय कौन करेगा कि मीटर तेज है या नहीं? गड़बड़ी करने वाला विभाग ख़ुद ही यह कह रहा है कि सब कुछ ठीक है। इसलिए हमारी मांग है कि निपटारे के लिए कोई निष्पक्ष कमेटी होनी चाहिए।
क्या मीटर का मापांकन गलत नहीं हो सकता?
बिहार में 2 करोड़ से ज्यादा बिजली उपभोक्ता है इसमें से मात्र 50 लाख उपभोक्ताओं ने ही स्मार्ट मीटर लगवा रखा है। नए मीटर लगाने से पूर्व सरकार को पहले वर्तमान 50 लाख उपभोक्ताओं की शंकाओं, संदेहों को दूर कर उन्हें संतुष्ट करना चाहिए। सरकार की बिजली कंपनियों के साथ क्या सांठ-गांठ है? क्या मीटर का मापांकन गलत नहीं हो सकता? क्या विद्युत मंत्री के सुपौल घर में स्मार्ट मीटर है? है तो कब लगा? कितने अधिकारियों के सरकारी और व्यक्तिगत आवास पर स्मार्ट मीटर लगा है?
मीटर के नाम पर वसूली
पिछले 20 सालों में 3 बार मीटर बदला जा चुका है, हर बार मीटर बदलने की जरूरत क्यों पड़ती है? क्या मीटर वाली कंपनियां, बिल वसूलने वाली एजेंसियां, सत्तारूढ़ जदयू नेताओं और अधिकारियों के बीच कोई रिश्ता है? स्मार्ट मीटर के इंस्टालेशन चार्ज बिजली कंपनियां उपभोक्ताओं से पहले के दो या तीन महीने में वसूलती हैं लेकिन बताती क्यों नहीं है? 200₹ के मीटर पर उपभोक्ताओं से मीटर की कुल कितनी लागत वसूली जाती है?
मीटर स्मार्ट है तो इनमें इतनी दिक्कत क्यों?
अगर तथाकथित स्मार्ट मीटर सच में स्मार्ट है तो इसका यूजर इंटरफेस और सिस्टम इतना धीमा और बेकार क्यों है कि हर जगह असमंजस, परेशानी, जानकारी का अभाव और पैसों का इधर-उधर हो जाना होता है? और इस परेशानी के कारण और अधिक वसूली का भ्रष्टाचार होता है। प्रीपेड स्मार्ट मीटर के इंटरफेस और सिस्टम में इतनी गड़बड़ क्यों है कि पब्लिक को पता ही नहीं चलता कि उनका पैसा कहां चला गया? कितना पैसा बचा हुआ है, बिजली उपभोक्ताओं को यह भी पता नहीं चलता कि उनके पैसे कहां कट रहे हैं और क्यों कट रहे हैं और किस दर से कट रहे हैं?
रियल टाइम अपडेट्स नहीं
उपभोक्ताओं को पैसे के लिए तो मैसेज आता है लेकिन जब पैसा जमा किए जाते है तब पैसा मिले या नहीं इसका कोई मैसेज नहीं आता। कब बिजली कनेक्शन कटने वाला है या कितने कम पैसे बचे हुए है इसका भी कोई मैसेज नहीं आता? पैसा आ गया है जल्दी ही बिजली वापस आ जाएगी इसका भी कोई मैसेज नहीं आता है। नया रिचार्ज हुआ है या नहीं हुआ है, हुआ है तो दोबारा बिजली शुरू होने में घंटों क्यों लगते हैं? कुछ भी रियल टाइम नहीं होता है और पूछताछ करने पर कोई यह बात बताता ही नहीं है और ना ही किसी के बिल में यह बात स्पष्ट किया होता है। इन सब कारणों से उपभोक्ता हमेशा परेशान ही रहता है।
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