USAID मामला: झूठों और अनपढ़ों की बारात है BJP – सुप्रिया श्रीनेत

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USAID के मामले ने आजकल तूल पकड़ रखा है। इसी बीच कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने भारतीय जनता पार्टी को इसी मुद्दे पर घेरा और कहा, “जब से ट्रम्प प्रशासन के DOGE ने 16 फरवरी को कहा कि USAID द्वारा “भारत में मतदान” के लिए 21 मिलियन डॉलर की फंडिंग को रद्द कर दिया है, तबसे  भाजपा ने कांग्रेस पर मनगढ़ंत आरोप लगाए हैं।”

झूठों और अनपढ़ों की बारात है BJP

सुप्रिया श्रीनेत ने कहा, “जिस 21 मिलियन डॉलर पर भाजपाई और चरणचुंबक उछल रहे थे, वो खबर तो फेक निकली। 2022 में 21 मिलियन डॉलर भारत में ‘वोटर टर्नआउट’ के लिए नहीं, बांग्लादेश के लिए थे। एलोन मस्क ने फ़र्ज़ी दावा किया, ट्रम्प ढाका और दिल्ली में कंफ्यूज हुए, अमित मालवीय ने झूठ आगे फैलाया, फिर BJP के बाक़ी बकलोल और चरणचुंबक लपक लिए। जबसे ट्रम्प प्रशासन के DOGE ने 16 फरवरी को कहा कि USAID द्वारा “भारत में मतदान” के लिए 21 मिलियन डॉलर की फंडिंग को रद्द कर दिया है, तबसे भाजपा ने कांग्रेस पर मनगढ़ंत आरोप लगाए हैं। लेकिन अब पता चल रहा है कि यह तो पूरी ख़बर फ़र्ज़ी है. जब पैसा भारत आया ही नहीं तो रद्द क्या होगा?” 

सारा विवाद DOGE की लिस्ट में दो USAID अनुदान को लेकर

कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा, “असल में सारा विवाद DOGE की लिस्ट में दो USAID अनुदानों को लेकर है जिन्हें वाशिंगटन स्थित Consortium for Elections and Political Process Strengthening (CEPPS) के माध्यम से दिया गया था। CEPPS को USAID से कुल $486 मिलियन मिलने थे। DOGE के अनुसार, इस कोष में मोल्दोवा के लिए $22 मिलियन और “भारत में मतदान प्रतिशत” के लिए $21 मिलियन शामिल थे। मोल्दोवा के लिए CEPPS को USAID ने पहला फण्ड 2016 में दिया जिसका ID  AID117LA1600001 था।”

DOGE द्वारा चिह्नित USAID $21 मिलियन का अनुदान बिल्कुल फ़र्ज़ी

सुप्रिया श्रीनेत ने कहा, “लेकिन भारत के लिए DOGE द्वारा चिह्नित USAID $21 मिलियन का अनुदान बिल्कुल फ़र्ज़ी है। क्योंकि यह बांग्लादेश के लिए था, भारत के लिए नहीं और असलियत यह है कि बांग्लादेश के लिए निहित 21 मिलियन डॉलर में से 13.4 मिलियन डॉलर वहाँ जनवरी 2024 के चुनाव के पहले ही दिया जा चुका है। हर फ़ेडरल ग्रांट में यह निहित होता है कि वो किस देश में इस्तेमाल होना है। अमेरिकी फ़ेडरल खर्च के अनुसार, 2008 के बाद से भारत में कोई USAID वित्त पोषित CEPPS प्रोजेक्ट ही नहीं है।” 

अमेरिकी यात्रा के दौरान सोशल मीडिया पर इसकी पुष्टि

सुप्रिया श्रीनेत ने आगे कहा, “CEPPS को एकमात्र चल रहा $21 मिलियन का USAID अनुदान जिसका ID 72038822LA00001 है, वो जुलाई 2022 में बांग्लादेश की “अमार वोट अमार” (My Vote Is Mine) के लिए स्वीकृत किया गया। नवंबर 2022 में, इस अनुदान का उद्देश्य बदल करके “USAID का नागोरिक कार्यक्रम” कर दिया गया। ढाका में एक USAID अधिकारी ने दिसंबर 2024 में अमेरिकी यात्रा के दौरान सोशल मीडिया पर इसकी पुष्टि भी की: “USAID द्वारा वित्त पोषित $21 मिलियन CEPPS/नागोरिक परियोजना को मैं प्रबंधित करता हूं।”

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