हिंदू, सिख या बौद्ध, कोई भी अल्पसंख्यक हिंसा का शिकार नहीं होना चाहिए।
बांग्लादेश के हालात पर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने एक्स पर पोस्ट किया और कहा कि कोई भी अल्पसंख्यक चाहे वह किसी भी धर्म या नजरिए वाला क्यों ना हो हिंसा का शिकार नहीं होना चाहिए।
कोई भी हिंसा का शिकार न हो
बांग्लादेश में जब से प्रदर्शन ने हिंसा का रूप लिया है तब से बांग्लादेश से अल्पसंख्यक हिंदुओं पर लगातार हो रहे हमलों की खबरें सामने आ रही हैं, जिसपर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बयान दिया। अखिलेश ने अपने शब्दों में कहा – “कोई भी समुदाय चाहे वह बांग्लादेश का अलग नजरिए वाला बहुसंख्यक हो या हिंदू, सिख, बौद्ध या कोई अन्य धर्म-पंथ-मान्यता मानने वाला अल्पसंख्यक, कोई भी हिंसा का शिकार नहीं होना चाहिए।”
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस मामले को उठाने की अपील
इसके अलावा उन्होंने आगे कहा, कि कोई अल्पसंख्यक हो यह बहुसंख्यक कोई भी हिंसा का शिकार नहीं होना चाहिए और उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस मामले को उठाने की अपील भी की है। उन्होंने कहा कि “भारत सरकार द्वारा इस मामले को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मानवाधिकार की रक्षा के रूप में सख़्ती से उठाया जाना चाहिए। ये हमारी प्रतिरक्षा और आंतरिक सुरक्षा का भी अति संवेदनशील विषय है।”
बांग्लादेश में 5 अगस्त को बिगड़े थे हालात
शेख हसीना द्वारा प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद बांग्लादेश में कानून व्यवस्था की स्थिति बिल्कुल खराब हो गई थी। 5 अगस्त को इस्तीफा देने के बाद शेख हसीना को देश में हिंसा उग्र होने के कारण भागना पड़ा था। पुलिस सटेशन से लेकर हिंदू समाज के लोगों के घरों और प्रतिष्ठानों को आग के हवाले कर दिया गया। इस भड़की हिंसा में अब तक मरने वाले लोगों की संख्या लगभग 560 हो गई है। पिछले कुछ दिनों में 230 से ज्यादा लोगों मारे गए हैं।
हिंदुओ को शरण दी तो मुसलमानों के साथ भी हुई हिंसा
इस हिंसा के दौरान सिर्फ हिंदू ही नहीं बल्कि मुसलमानों को भी निशाना बनाया गया है। जिन मुसलमानों ने हिंदुओ को शरण देने की कोशिश की उनको भी हिंसा का जुल्म झेलना पड़ा। फेनी जिले के सैफुल इस्लाम पटवारी ने बताया की हिंसा के दौरान कई हिंदू परिवारों को शरण देने की कोशिश की गई थी जिसके बाद गांव में ही रहने वाले उपद्रवियों ने उनके घरों में तोड़फोड़ की, गाड़ियों को जला दिया गया और संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया। सैफुल अपना घर छोड़कर फिलहाल ढाका आ गए हैं और उनका परिवार अकेला रह रहा है। जिन हिंदुओ को उन्होंने शरण दी थी वो भी वहां से भागकर दूसरे स्थानों पर जा चुके हैं।
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