जम्मू-कश्मीर के आगामी चुनाव में हम किसी दल के साथ गठबंधन नहीं करेंगे

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केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने 30 सितंबर तक का समय दिया है। इससे पहले जम्मू कश्मीर में वर्ष 2014 में विधानसभा चुनाव हुए थे, जिसमें भाजपा के साथ मिलकर महबूबा मुफ्ती ने अपनी सरकार बनाई थी। लेकिन वह सरकार भी ज्यादा समय नहीं टिक पाई, क्योंकि 19 जून 2018 को भाजपा ने अपना समर्थन वापस ले लिया और महबूबा मुफ्ती ने अपने पद से इस्तीफा दिया था। जिसके बाद से वहां पर राज्यपाल शासन लागू हो गया। 5 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 को हटा गया था व साथ ही जम्मू कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट गया। जो कि अब जम्मू कश्मीर और लद्दाख के रूप में जाने जाते हैं। तब से यहां उप-राज्यपाल का शासन है।

जम्मू कश्मीर में लंबे समय के बाद विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं ऐसे में कई राजनीतिक दल अपनी-अपनी रणनीति बनाने के लिए तैयारी कर रहें हैं। नेशनल कांफ्रेंस के मुखिया फारुक अब्दुल्ला ने कहा कि वो आगामी चुनाव में किसी भी दल के साथ गठबंधन नहीं करेंगे।

अब्दुल्ला ने दिया सभी पार्टियों को झटका

अब्दुल्ला का किसी भी पार्टी के साथ गठबंधन ना करने का ऐलान सभी पार्टियों के लिए झटका साबित हो सकता है, क्योंकि जम्मू कश्मीर में उनके बड़ी संख्या में ज्यादा समर्थक हैं और अगर वह किसी पार्टी से गठबंधन नहीं करते हैं, तो यह चुनाव दूसरी पार्टियों के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है।

कांग्रेस और एनसी ने साथ लड़ा था लोकसभा चुनाव

बात करें लोकसभा चुनाव 2024 की तो कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस ने यह चुनाव गठबंधन के साथ लड़ा था। दोनों पार्टी के बीच तीन-तीन सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए सहमति बनी थी। जिसमें नेशनल कांफ्रेंस ने अनंतनाग, बारामूला और श्रीनगर में अपने उम्मीदवारों को उतारा था जबकि कांग्रेस ने जम्मू रीजन के उधमपुर, जम्मू और लद्दाख सीटों पर अपने प्रत्याशियों को उतारा था। उस समय कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस का यह गठबंधन पीएजीडी के लिए बड़ा झटका था।

चुनाव आयोग की गतिविधियां भी तेज हुईं

आगामी चुनाव को लेकर चुनाव आयोग की टीम की गतिविधियों में तेजी आई है। निर्वाचन आयोग की टीम द्वारा जम्मू कश्मीर का दो दिवसीय दौरा भी पूरा हो चुका है। अपने दौरे के दौरान निर्वाचन आयोग टीम ने प्रशासनिक पुलिस अधिकारियों और सेना बलों के अधिकारियों के साथ सुरक्षा को लेकर चर्चा की। दौरे के बाद अब विधानसभा चुनाव कार्यक्रम की घोषणा के लिए सुरक्षा रिव्यू रिपोर्ट का इंतजार है। आंतरिक सुरक्षा को संभालने वाली एजेंसियों, सुरक्षा बलों के अधिकारियों की सूचनाओं के आधार पर सुरक्षा समीक्षा करने के बाद तय किया जाएगा, कि विधानसभा चुनाव कब और कैसे होंगे।

कश्मीर घाटी और जम्मू संभाग में सुरक्षा और अन्य नजरिया से राजनीतिक प्रशासनिक और सामाजिक प्रतिनिधियों के साथ बैठक के बाद मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि जम्मू कश्मीर के विधानसभा चुनाव में अगर कोई अंदरूनी ताकत या बाहरी ताकत दखलंदाजी करने के बारे में सोचते हैं, तो वह चुनाव को टाल सकते हैं तो ऐसा नहीं होने वाला है। उन्होंने अपने शायराना अंदाज में कहा कि ‘जम्हूरियत का सफर गोया हूं ही चलता रहे, लंबी कतारों में चमकती आंखों का नूर यूं ही कायम रहे, हर चेहरा उम्मीदों से यूं ही रोशन रहे, वोट की ताकत यूं ही हिंसा के नापाक इरादों को शिकस्त देते रहे।’

अब देखना यह है यह चुनाव कब होंगे और इन चुनावों में कौन जीत हासिल करेगा!

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