उत्तर प्रदेश में शराब की दुकानों पर 1 बोतल के साथ 1 बोतल फ़्री मिल रही है
उत्तर प्रदेश में शराब
जब दिल्ली में शराब विक्रेताओं द्वारा डिस्काउंट पर शराब बेची गई थी, तब भारतीय जनता पार्टी ने इस मुद्दे पर आम आदमी पार्टी को जमकर घेरा था। उसके बाद शराब घोटाले के आरोप में AAP संयोजक अरविंद केजरीवाल और अन्य AAP नेताओं को जेल ही हवा भी खानी पड़ी थी। लेकिन अब उत्तर प्रदेश में शराब की खरीद पर भारी डिस्काउंट चल रहा है, एक बोतल की खरीद पर एक बोतल फ्री दी जा रही है, जिस पर AAP नेता प्रियंका कक्कड़ और आतिशी ने बीजेपी को आड़े हाथों लिया।
शराब माफिया के आगे खामोश हैं योगी जी और BJP
AAP नेता प्रियंका कक्कड़ ने कहा, “जब दिल्ली में शराब विक्रेताओं ने अपनी मर्जी से यह डिस्काउंट सिस्टम चलाया था तो AAP सरकार ने इसे बंद कराया था, लेकिन आज यूपी में हो रहा है तो योगी व मोदी जी खामोश हैं। इसकी खामोशी की वजह यह है कि सट्टा कंपनियां, बीफ कंपनियां और शराब सरगना बीजेपी को चंदा देते हैं और इसीलिए भाजपा के नेता खामोश हैं।”
BJP बताए, शराब नीति पर उनका स्टैंड क्या है?
AAP की राष्ट्रीय मुख्य वक्ता प्रियंका कक्कड़ ने आगे कहा, “शराब नीति पर बीजेपी का स्टैंड क्या है? बीजेपी शासित उत्तर प्रदेश में शराब की दुकानों पर 1 बोतल के साथ 1 बोतल फ़्री मिल रही है। BJP को यही 1+1 की नीति दिल्ली में ख़राब लग रही थी और अब वही UP में अच्छी लग रही है।”
योगी जी के यहां ED-CBI का छापा कब पड़ेगा? – आतिशी
दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री आतिशी ने कहा, “BJP शासित UP में BJP की योगी सरकार Buy1, Get 1 Free में एक शराब की बोतल के साथ एक शराब की बोतल फ्री में दे रही है। लोग फ़्री बोतल लेने के लिए दुकानों पर टूट रहे हैं। BJP की सरकार और योगी जी क्या लोगों को शराबी बनाना चाहते हैं? क्या इस 1+1 की योजना को बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व की सहमति से शुरू किया गया है? अगर नहीं तो BJP सड़कों पर कब उतर रही है? योगी जी के यहां ED-CBI का छापा कब पड़ेगा?”
सरकार के खिलाफ व्यापारियों ने याचिका दायर की
उत्तर प्रदेश में शराब विक्रेताओं ने स्टॉक खत्म करने के लिए भारी डिस्काउंट देना शुरू कर दिया है, जो सरकार की नई शराब नीति का सीधा असर है। इस नीति के तहत नए टेंडर जारी किए गए हैं, जो 31 मार्च से लागू होंगे। शराब एसोसिएशन के अधिवक्ता रोहित जायसवाल के अनुसार, व्यापारियों ने सरकार के खिलाफ याचिका दायर की थी, जिसमें मांग की गई थी कि 31 मार्च से पहले उनका बचा हुआ स्टॉक सरकार वापस ले, ताकि उन्हें भारी नुकसान न उठाना पड़े। हालांकि, कोर्ट के आदेश के बावजूद सरकार ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की, जिससे शराब विक्रेताओं को स्टॉक खत्म करने के लिए डिस्काउंट का सहारा लेना पड़ा है।
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