SEBI चेयरपर्सन को कौन बचा रहा है और क्यों?

जयराम रमेश ने केन्द्र सरकार को SEBI मामले पर घेरते हुए एक्स पोस्ट में लिखा “अडानी ग्रुप द्वारा किए गए प्रतिभूति कानूनों के उल्लंघन की सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्देशित नियामक संस्था की जांच में SEBI चेयरपर्सन के हितों के टकराव को लेकर गंभीर सवाल उठाए गए हैं। ऐसा लगता है कि इन सवालों को भारत सरकार ने यूं ही नज़रअंदाज़ कर दिया है।”
सरकार को स्पष्ट जवाब देना होगा
जयराम रमेश ने सरकार से 6 सवाल करते हुए एक्स पोस्ट में लिखा “अब चौंकाने वाले कदाचार का यह ताज़ा खुलासा हुआ है। नॉन बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री, जो अपनी चुप्पी के माध्यम से SEBI चेयरपर्सन को बचाने में लगे हैं, उनको स्पष्ट रूप से सामने आकर निम्न सवालों का जवाब देना चाहिए –
- नियामक निकायों के प्रमुखों की नियुक्ति के लिए योग्यता के उपयुक्त मानदंड क्या हैं?
- क्या प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली ACC ने SEBI चेयरपर्सन को लेकर सामने आए इन चौंकाने वाले तथ्यों की जांच की है या ACC पूरी तरह से PMO को आउटसोर्स कर दी गई है?
- क्या प्रधानमंत्री को पता था कि SEBI चेयरपर्सन लाभ के पद पर थीं और SEBI में अपने कार्यकाल के दौरान ICICI से वेतन/आय प्राप्त कर रही थीं?
- क्या प्रधानमंत्री को पता था कि SEBI के पूर्णकालिक सदस्य के रूप में मौजूदा SEBI चेयरपर्सन ICICI और उसके संबद्ध संस्थाओं के ख़िलाफ़ शिकायतों का निपटारा कर रही थी और साथ ही साथ ICICI से आय भी प्राप्त कर रही थीं?
- मौजूदा SEBI चेयरपर्सन को ICICI से ESOP लाभ क्यों मिलते रहे, जबकि वे बहुत पहले ही लैप्स हो चुके थे?
- SEBI चेयरपर्सन को कौन बचा रहा है और क्यों?”
कब तक चुप्पी साधेंगे प्रधानमंत्री
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने लिखा “नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री यूं ही सवालों का जवाब दिए बिना नहीं बचे रह सकते हैं। वे आख़िर कब तक इन सवालों पर चुप्पी साधे रहेंगे। पूंजी बाज़ार में करोड़ों भारतीय अपना निवेश करते हैं। वे इसके नियामक से पूर्ण पारदर्शिता और इमानदारी की मांग करते हैं।”
मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी इस मुद्दे पर घेरा
मल्लिकार्जुन खड़गे ने लिखा “10 वर्षों से आपने चंद पूंजीपति मित्रों की मदद करने के लिए भारत की संस्थानों की स्वायत्तता व स्वतंत्रता को कुचलने की भरपूर कोशिश की है। हमने CBI, ED, RBI, CEC – ये सब में देखा, अब हम SEBI में भी यही झेल रहे हैं।”
SEBI की साख़ पर बदनुमा धब्बा लगा
कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने आगे लिखा, जो SEBI की पहली lateral entry वाली चेयरपर्सन को बिना किसी तफ्तीश के आपने नियुक्त किया है, उससे SEBI की साख़ पर बदनुमा धब्बा लग गया है। SEBI मध्यम वर्ग व छोटे निवेशकों की गाढ़ी कमाई सुरक्षित करती है, आपके मित्र प्रेम और शायद जानबूझकर की गई इस नियुक्ति से देश के Market Regulator पर भरोसा कम होगा!”
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